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Saturday 30 July 2016

कल शिकारपुरा से मृत्यु भोज की कुप्रथा को रोकने की अच्छी खबर


   शिकारपुरा |  गुरुवर  संत श्री राजाराम जी महाराज के उपदेशों के पालना अनुरूप प्रथम बार सीह परिवार श्री पुरखाराम, श्री शिवाराम (थानापति फौजी, सांवलराम( सुबेदार) फौजी S/O स्व• जगाराम जी सीह शिकारपुरा जोधपुर द्वारा अपनी माताजी के स्वर्गावास के पश्चात (उनके दिन पर) जो समाज में व्याप्त कुरीति मृत्युभोज प्रथा पर सीरा-लापसी बनाकर खाने की पीढ़ियों से चली आ रही प्रथा को स्वेच्छा से बंद कर  गुरु उपदेश  का पालन किया। इस परिवार ने आये मेहमानों के लिए दाल-रोटी की व्यवस्था रखी। ऐसी व्यवस्था रखते हुए परिवार ने संत श्री राजाराम जी आश्रम शिकारपुरा के गादीपति महंत श्री दयाराम जी महाराज को आमंत्रित किया । महंत जी भी इस परिवार द्वारा गुरुदेव के उपदेश का पालना  करने  का समाचार मिला तो स्वयं महंत जी भी परिवार को साधुवाद देने सामाजिक कार्यक्रम में शरीक हुए। समाज के गणमान्य लोग भी थे साथ। महंत जी ने प्रवचन देते हुए उपस्थित समाज के लोगों को गुरुदेव के उपदेशो की पालना कर अनुसरण करने व  समय के साथ चलने को कहते हुए यह भी कहा कि मृत्युभोज एक सामाजिक बुराई है अभिशाप है। महंत जी ने युवा पीढ़ी को नशे से दूर रहने की बात कही।
          प्रात:स्मरणीय गुरूवर संत श्री राजारामजी महाराज ने अपने उपदेशों में मृत्युभोज बंद करने का उपदेश दिया था तथा पूर्व गुरूओं ने भी अपने जीवनकाल तक मृत्युभोज जैसी कुरीति बंद करने का प्रयास किया उसका परिणाम आज वर्तमान महंत श्री दयाराम जी महाराज के आदर्शों से प्रभावित होकर समाज को नई दिशा, नई चेतना, नई जागृति का संदेश दिया।
               ऐसे परिवारों को समाज के मंच पर सम्मानित किया जाये तो समाज को नई प्रेरणा , नई ऊर्जा मिलेगी व जागृति आएगी। जिससे कुरीतियों व कुरिवाजों पर अकुंश स्वत: ही लग जाएगा।
           इसलिए इस परिवार को ह्रदय की अनंत गहराई से गुरुदेव का बहुत-बहुत आशीर्वाद व पूरे समाज की युवा पीढ़ी की ओर से धन्यवाद व आभार प्रकट किया जाता है।
              समाज के सभी लोगो से निवेदन हैं कि जहां कही मृत्युभोज करनें का समाचार मिले, वहा 8-10 बुद्धिजीवी लोग जाकर उस परिवार को ऐसा नहीं करने के लिए प्रेरित करें। क्यूकि सामान्यत समाज के लोगो की यह धारणा होती हैं कि मुझे किसी ने मृत्युभोज के लिए रोका ही नहीं हैं तो मेरी हल्की लगेगी समाज में।

खुद समझें, लोगो को समझाऐं।
मृत्युभोज रोकें, समाज को आगे बढायें।

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