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Tuesday 22 March 2016

बाल विवाह एक अभिशाप, सामूहिक विवाह का हो आयोजन

आज देश भर में हर हमेशा हम बाल विवाह के बारे में अलग अलग घटनाएँ व केस सुन रहे हैं। लेकिन आखिर ये ऐसा सब क्यों होता हैं इसके बारें न जनता को साफ पता हैं और न ही सरकार को इस बात का पता हैं बस एक ही बात चलती हैं बाल विवाह एक अभिशाप हैं, बाल विवाह रोका जाय, साथ ही कई योजनाऍ भी चलाई जा रही हैं, परन्तु उनके बाद भी ये क्यों नही रुकता? इसके बारे में मै आज दो शब्द लिखना चाहता हूँ जो मैने सुने भी हैं और सोचे भी हैं और इतना ही नही बड़े बुजुर्ग और अधिकारियों से भी सालह ली।

क्या हैं बाल विवाह

होली से वर्षा ऋतू तक विवाह की धूम रहती हैं जिसमे ज्यादातर अक्षय तृतीया (आखातीज) पर विवाह का आयोजन होता हैं। जिसमें कई छोटे बच्चों का विवाह कर दिया जाता हैं। जो 21 साल से छोटे लड़के व 18 साल से छोटी बिटिया को विवाह के बन्धन में बांध लिया जाता हैं। जबकि सरकार का मानना हैं कि लड़के का विवाह 21 वर्ष और 18 साल से पहले परिणय सूत्र में बाँधना /शादी करना बाल विवाह माना जाता हैं जो एक कानून अपराध हैं। क्योंकि इस उम्र से पहले लड़के व लड़की की उम्र परिपक्व नही होती हैं।

इसके क्या हैं दुष्परिणाम

बालविवाह के दुष्परिणामो की और यदि सही रूप से डाली जाए तो ज्ञात होता हैं कि वास्तव में बाल विवाह गलत हैं। परन्तु मजबूरीयों के चलते ये बाल विवाह करना भी पड़ता हैं।

परन्तु जो सरकार मानती हैं उनसे तो कई लोग असन्तुष्ट हैं क्योंकि सरकार बाल विवाह के निम्न दुष्परिणाम  मानती हैं।

1  गर्भपात का खतरा बढ़ना।

2   लड़की में रक्त की कमी होने पर वह एनीमिया से पीड़ित हो जाती हैं।

3   प्रसव दर में बढ़ावा।

4   मृत्यु दर में बढ़वा।

5   कम वजन की सन्तान होना।

6   कमजोर सन्तान होना।

7  शारीरिक दुर्बलता व परिपक्वता के चलते बाल विवाह के करने वालो को परेशानिया

8   बीमार सन्तान का होना।

9   माता व शिशु का अस्वस्थ रहना।

10  शिक्षा से दूर हो जाना।

वंही दूसरी और आम जनता का मनना कुछ अलग ही हैं। साथ ही जनता और सरकार के इन बातो में मेल नहीं खाता। ये मानना हैं जनता का

1  कम उम्र में शादी करने का मतलब ये नहीँ कि शादी करके उनको ससुराल भेज दिया जाता हैं। 

2   शादी कम उम्र में होने के बाद भी लड़की 18 साल से ज्यादा होने के बाद ही उनको ससुराल भेजा जाता हैं।

3  यह भी स्वीकार किया जाता हैं कि बाल विवाह से सम्बन्धो में कई बार तनाव हो जाता हैं जिससे रिश्ते टूट जाते हैं। जैसे :- शिक्षा, कमजोर या भोलापन या और कोई कारण के चलते तू तू में में से रिश्ते टूट जाते हैं।

4  परन्तु जनता सरकार के इन परिणाम को मानने को तैयार नही हैं।

5  सामजिक नुक्सान होता हैं।

6   आपसी सम्बन्धों में कटुता।

7   बदले की भावना उत्पन होना जैसे :- वेर

8   रिश्ते बिगड़ने की स्थिति में समाज से बहिष्कृत करना, दण्ड भरवाना।

9   सामाजिक तिरस्कार देना।

10  गरीब पर बोझ बनना।

क्यों होता हैं बाल विवाह ??

आखिरकार  इन सब दुष्परिणामो की जानकारी होते हुए भी लोग बाल विवाह क्यों करते हैं ? इस बात पर दो बार अथवा दुबारा प्रश्नवाचक चिन्ह लगता हैं? बूढ़े बुजर्गो से जानकारी लेने पर ये बाते सुनने को मिली।

1  हर बार लोगो को बुलाना और सब व्यवस्था बनाना मुश्किल हो जाता हैं।

2  बार बार विवाह आयोजन करने से खर्चा ज्यादा होता हैं जो गरीब के लिए मार पड़ती हैं।

3   घर की स्थिति के अनुसार आयोजन होता हैं।

4   जानकारी अथवा सरकारी योजनाओ की जानकारी का अभाव।

5    जागरूकता का अभाव।

6    पुरानी परम्पराओ के अनुसार चलना।

7    अपनों के दबाव व आग्रह के आधार पर।

8    शिक्षित कम होने के कारण।

9    सामूहिक आयोजनों की जानकारी का अभाव।

10   वर्तमान स्थिति के आधार पर भविष्य देखना।

11    धन लोलुप्नता।

इत्यादि के साथ कई कारण हैं जो बालविवाह को आतुर करते हैं।

इसके रोकथाम के लिए क्या हैं उपाय

बाल विवाह को रोकने के लिए आखिर उपाय देखा जाए तो बस एक ही उपाय हैं समूह विवाह। बाल विवाह रोकथाम  के लिए सबसे अच्छा तरीका समूह विवाह का आयोजन करना हैं। लोगो को इनसे अवगत करवाना तथा इसकी और प्रेरित करना हैं। जिससे खर्चे में कमी आ जाती हैं तथा इसके साथ ही कई बातों की समस्या समाधान ही रहता हैं। जिससे बाल विवाह में स्वतः ही कमी आ जाती हैं।

इसके साथ ही विद्यालय, प्रार्थनासभा, विभिन्न कार्यक्रमो, ग्रामपंचायत में शिविर ,  अस्पताल ANM , सामाजिक कार्यक्रमो, खेलकूद कार्यक्रमो में समय समय पर जानकारी देते रहना चाहिए।

बुजुर्ग लोगो से एक मुलाक़ात

80 वर्ष या इससे अधिक बूढ़े लोगो का कहना हैं  कि हमें याद हैं जब हम छोटे थे तब और हमारी उम्र में गांव में जो विवाह होता था वो एक संगठन के रूप में ही होता था जो अब वर्तमान में समूह विवाह नाम रख दिया गया। गाँव के जिस परिवार में  बड़ी बेटियों होती थी उन सब का विवाह एक ही दिन एक ही महूर्त में रखा जाता था तथा समूह भोज का भी आयोजन होता था इसके साथ ही बैठक व मायरा की रस्म भी एक जगह ही पूर्ण होती थी। परन्तु आज समय बदलाव के साथ वो बाते नही रही । जिसके कारण अब एकल विवाह का आयोजन होता हैं और विभिन्न कारणों के चलते लोग बाल विवाह करते हैं। परन्तु ये बाल विवाह एक नादानी हैं जो कई बच्चों की जिंदगी पर दांव पर लग जाती हैं तो कई लोग आत्म हत्या के लिए मजबूर हो जाते हैं । इसके साथ ही कई लोग समाज से भी बहिष्कृत कृत हो जाते हैं।

50% से ज्यादा परिवार बालविवाह से होते बहिष्कृत

समाज के बड़े बुजर्गो व समझदार  व्यक्तियो का मानना हैं कि 50 % या इससे ज्यादा बाल विवाह के झंझाल के कारण समाज से बहिष्कृत किये जाते हैं।

कोण कहता हैं सरकारी व्यक्ति नहीँ जाते बालविवाह में

सरकार व अधिकारी लोग एक और तो दावा कर रहे और हमेशा बालविवाह को लेकर मीटिंग आयोजित करते हैं तथा कई कार्यक्रम आयोजित करवाते हैं साथ ही कई योजनाऍ संचालित की जाती हैं। परन्तु ये लोग ही कई कार्यक्रमो में भाग लेने के लिए पँहुचते हैं। जैसे :- अध्यापक, सरपंच, प्रधान, विकास अधिकारी सहित कई लोग इन शादी अवसरों पर कार्यक्रमो में भाग लेते हैं । विशेष करतो निमन्त्रण मिलने पर अध्यापक लोग स्कुल में तालालगाकर भी कार्यक्रम में चले जाते हैं।

मुझ जैसा कोई रो रहा हैं

क्योंकि तुम जैसा कोई उसको छोड़ रहा हैं

भैया क्या तुम ऐसा कर सकते हो

हर नारी को सम्मान दे सकते हो

ताकि वो फिर ना डर के रहेगी

मेरी तरह वो भी खुली हवा में साँस ले सकेगी

सही अर्थों में तभी राखी की शान बढ़ेगी ........

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अच्छा लगे तो आगे जरूर शेयर करें ताकि सरकार व अधिकारियो को भी वास्तविकता का पता चले।  आपको सही न लगे तो छोटा भाई समझकर माफ़ कर देना।

आपका मित्र

रमेश कुमार आँजणा 

सम्पादक :-  आँजणा पटेल क्रांति

गांव  कारोला  तहसील सांचोर

जिला जालौर   (राजस्थान):- 0343041

9828958865,   8239177667

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