'गुरुवर हमारे आँखों के तारे, कोटि कोटि वन्दन हमारे।
संत शिरोमणि, नि:स्वार्थ सेवा-भावी संत, कर्मठ ओजस्वी अन्न त्यागी संत, पर्यावरण प्रेमी, लाखों युवाओं के प्रेरणा स्रोत, क्रांतिकारी संत
श्री श्री 108 श्री सुरजारामजी महाराज की छठी पुण्यतिथि पर 'महाराजश्री' को शत् शत् नमन एवं कोटि-कोटि वन्दन|
श्री श्री 108 श्री सुरजारामजी महाराज की छठी पुण्यतिथि पर 'महाराजश्री' को शत् शत् नमन एवं कोटि-कोटि वन्दन|
'गुरुवर हमारे आँखों के तारे, कोटि कोटि वन्दन हमारे।
संत श्री सुरजाराम महाराज को दादागुरु परम पूजनीय श्री देवारामजी महाराज , परम पूजनीय श्री किशनारामजी महाराज एवं वर्तमान गादीपति पूज्य महन्त श्री दयारामजी महाराज का सान्निध्य प्राप्त हुआ था।
बचपन से ही मानव सेवा में मानो उनके रग-रग में थी, हर क्षेत्र में नि:शुल्क शिविरों का आयोजन कर मानव सेवा करने का अपना ध्येय बना लिया।
जगह जगह विशाल रक्तदान शिविरों, नेत्र रोग निदान शिविरों, दवा रोग शिविरों का आयोजन कर मानव सेवा में वे सदा अग्रणी रहे।
सादगी एवं सरलता, शिष्टाचार के धनी श्री सुरजारामजी महाराज ने हमेशा सेवा को ही अपना परम धर्म माना एवं अपने जीवनकाल में सेवा को महत्व दिया।
आश्रम में आने वाले हर भक्तगण चाहे वो राजा हो या रंक सभी को दर्शनलाभ के बाद भोजन प्रसादी तक करवाने को वे अपनी जिम्मेदारी समझते थे। समाज में शिक्षा , भाईचारा, संस्कारों , सामाजिक संस्कृति को अधिक महत्व दिया।
समाज की युवा शक्ति को नया रास्ता दिखाया, समाज सेवा, मानव सेवा , गरीबों-दीन दुखियौं की सेवा करने के लिए युवाऔ को प्रेरित किया।
आपकी कमी की भरपाई समाज कभी पूर्ण कर नहीं पायेगा।
आपकी कमी की भरपाई समाज कभी पूर्ण कर नहीं पायेगा।
आइये हम सब मिलकर 'संत श्री सुरजारामजी महाराज के संकल्पों, आर्दशों को पूर्ण करने का दृढ़ संकल्प लें।
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